हाइवे पर हवा खाने की आदत, हटने के साथ ही बढ़ा रही बेचैनी
Chandauli news : थानों पर एक अघोषित पद जिसका नाम कारखास मतलब जो खास कार्य है वह उस ब्यक्ति के जिम्मे रहती है। थाने की आय से लेकर उच्चधिकारियो की बेगारी हो या थानाध्यक्ष के रहन सहन से लेकर दैनिक खर्चे आदि की जिम्मेदारी उस ब्यक्ति के कंधे पर होती है। अब इतनी बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन अपने या फिर प्रभारी के बेतन से तो होगा नहीं ऐसे में वैध व अवैध कार्य के लिए अलग अलग निर्धारित रेट तय होता है। जिसके वसूली की जिम्मेदारी इन कारखासों के कंधे पर होता है। अब ज़ब इनके कंधे पर पूरी जिम्मेदारी होती है तो इनका अलग दबदबा होता है।

ऐसे लोंगो का कार्यकाल भी काफ़ी लम्बा होता है। कारण की थाना प्रभारी का अधिकतम कार्यकाल 3 साल होता है जो कोई पूरा कर नहीं पता। जबकि थाने के यह अघोषित पद पर आसीन लोग वर्षो वर्षो तक रहते है। ऐसे में थानों का प्रभार लेने वाला प्रभारी कहीं न कहीं इनके चंगुल में रहता है।
अब ज़ब प्रभारी ही चंगुल में है तो इनकी आमदनी तगड़े होना लाजमी है कारण की यह समाजसेवा का बीणा तो उठाये नहीं है। लम्बे समय से ऐसे कार्य करने से इनकी भी आमदनी सरकार से मिलने वाली सेलरी से कुछ स्थानों को छोड़कर अधिक होती है। काफ़ी अधिक समय तक ऐसे लोंगो के होने के बाद शिकायत भी शुरु हो जाती है। फिर वरिष्ठ अधिकारी कार्यवाही के नाम पर स्थान परिवर्तन तो कुछ का गैर जनपद ट्रांसफर भी कराते रहते है। लेकिन लूट व वसूली की आदत इस कदर रहती है की यह सब अपने उच्चधिकारियों के आदेश से बड़ा आदेश भी ले आ देतें है। कुछ इस कार्य में सफल नहीं हो पाते तो अपना दूसरा रास्ता अपनाते है।

कुछ ऐसी ही स्थिति जिले में है। एक तरफ भ्रस्टाचार को समाप्त तो नहीं इसपर लगाम लगाने की नियत से पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे ने आते आते ही दो दर्जन कारखासों को लाईन में विशेष प्रशिक्षण के नाम पर बुला लिए थे। जहां दिन में इन लोगों से पुलिस लाईन का कार्य कराया जाता था। लेकिन रवानगी थाने से थी ऐसे में अधिकांश शाम को पुनः अपने काम में लग जाते थे। जिसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक को हुआ तब ऐसे लोग गैर जनपद भेजे गए। उसके बाद पैतरेबाजी में महारथ पाए लोग जीआरपी आदि में ट्रांसफर कराकर फिर से उस कार्य को देख रहे है।
सूत्रों की माने तो मुगलसराय से हटाए गए एक कारखास गाजीपुर ट्रांसफर होने से पूर्व जीआरपी चला गया । वहां पूर्व के परिचितों के माध्यम से गोटी इस कदर फिट बैठी की इनका ट्रांसफर जीआरपी डीडीयू नगर के एक चौकी पर हो गया। इसके बाद यहां आने के साथ यह फिर से हाथ पाँव मार रहे। इसके साथ ही दूसरे एक पुलिस कर्मी की जीआरपी मुगलसराय में पोस्टिंग भले ही है लेकिन रहन सहन अलीनगर थाने के बैरक में है। सूत्रों का कहना ही की आज भी ताश्क़रों की अलीनगर से सेटिंग उसके माध्यम से होती है।
इसके साथ ही पिछले दिनों पुलिस अधीक्षक ने अलीनगर के कारकास का ट्रांसफर इलिया कर दिए। अब नेशनल हाइवे पर उड़ रहे पैसों को पकड़ने की हुनर रखने वाला जिले के सबसे कम गांव सभा वाले थाने पर चला गया जहां जाने के साथ ही वहां के पेड़ पौधे व थाने के आस पास खेतो में दिखने वाले जीव जंतू रास नहीं आये। अलीनगर थाने के कारखासी से मजबूत पकड़ ने रास्ता निकाल दिया। विभागीय कार्य का हिस्सा सीआर (हर ब्यक्ति की 1 माह के लिए अनिवार्य है ) में अपना नाम अपने से दे दिया। विभाग का कार्य भी हो गया और अब यह 1 माह तक अलीनगर का कार्य भी देखेंगे।