पूर्व विधायक ने गुणवत्ता पर उठायी थी उंगली, तीन दिन बाद जाँच करने पहुंची टीम

Chandauli news : गांव देहात में कहावत प्रचलित है... “जे छि…उहे डोली के रखवार “ यह कहावत धानापुर विधानसभा के रेरुआ पम्प कैनाल नहर के मरम्मत में घटिया सामग्री उपयोग किये जाने पर बैठाई गयीं जांच पर सटीक बैठा रही है। मतलब जिस सिंचाई विभाग के मिली भगत से यह दोयम दर्जे का निर्माण हो रहा है उसकी जाँच भी उसी विभाग को दे दिया गया। जिसका असर रहा कि जाँच करने गयीं टीम ने पहुंचते ही आरोप को ख़ारिज करते हुए निर्माण कार्य में लगने वाली सामग्री को उच्च क्वालिटी वाला बता दिया गया। हलांकि जिलाधिकारी के सख्ती पर ईंट प्रयोगशाला भेजा गया है।
बरहनी विकास खण्ड के ग्राम रेरूआ में संचालित 20 क्यूसेक क्षमता वाली रेरूआ पम्प नहर को ₹460.51 लाख की लागत से पक्का कराया जा रहा है। उक्त निर्माण में दोयम दर्जे का सामग्री प्रयोग हो रहा है। जिसे पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने सोशल मिडिया पर ट्रोल करते हुए किसानों से खा कि उनकी भी जिम्मेदारी है कि ऐसे कार्य का विरोध करें। साथ ही जनपद स्तरीय अधिकारियों को भी संज्ञान लेने कि बात कहा।
जिसके बाद जिलाधिकारी चन्द्रमोहन गर्ग ने प्रकरण की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए सिंचाई विभाग को तलब कर लिया। जाँच का आदेश दे दिया। अब ठेकेदार से मिली भगत कर हर साल नहर का घास छिलने कर खुदाई के नाम पर करोड़ो रुपया डकारने वाला सम्बन्धित विभाग के पक्का कार्य में फंसता नजर आया। लेकिन इसके पूर्व ही कमीशन के रूपये कि गर्मी ने बचाव का रास्ता अख्तियार कर दिया। तीन दिन पूर्व मिली जांच में पहले दोयम दर्जे के सामग्री को मौके से हटवाया गया।
जांच के नाम पर कार्यवाही का जारी आदेश: जांचा के नाम पर कार्यवाही का एक विज्ञप्ति जारी हुआ है जिसमें यह आदेश दर्शाया गया —मैसर्स पूजा इंटरप्राइजेज एवं मैसर्स धीरेन्द्र विक्रम सिंह—से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही उन्हें निर्देशित किया गया है कि यदि कार्यस्थल पर निम्न गुणवत्ता की ईंटें पाई गई हों, तो उन्हें तत्काल हटवाकर प्रथम श्रेणी की ईंटों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। साथ ही पूर्व में कराए गए ब्रिक लाइनिंग कार्यों की गुणवत्ता की जाँच हेतु सैम्पल टेस्ट रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत करने को कहा गया है।यदि ठेकेदारों द्वारा उपर्युक्त निर्देशों का अनुपालन नहीं किया जाता है अथवा जांच में दोयम दर्जे की ईंटों की पुष्टि होती है, तो अनुबन्ध की शर्तों के तहत उनके भुगतान से 1% की पेनाल्टी राशि कटौती की जाएगी। साथ ही भविष्य में यदि इस प्रकार की पुनरावृत्ति होती है तो सम्बन्धित ठेकेदारों के विरुद्ध अनुबंध रद्द करने, जमानत राशि जब्त करने व ब्लैकलिस्ट किए जाने जैसी कठोर कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।