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दीपावली इफेक्ट : जुगाड़ से बने विस्फोटक तोपों ने 100 से अधिक को बनाया अंधा

यूट्यूब पर देख बच्चों ने बनाया कैल्शियम कार्बाइट गन हो रहा घातक

News desk : शोशल मीडिया यूट्यूब कि मदद से दीपावली के अधिकांश क्षेत्रों में बच्चों ने दीपावली पर एक अलग प्रकार के तोप का अविष्कार किये थे। बच्चों के द्वारा बनाये गये नए अविष्कार का खूब चर्चा भी रहा। इसके पीछे कारण यह है एक तो इसके बनाने में बच्चों का लगन व दूसरे सबसे सस्ता। मात्र 100-200 रुपये में बनकर तैयार इस यंत्र से निकलने वाली आवाज तोप के समान थी। लेकिन उनका यह अविष्कार कई को अंधा बना दिया। ताज़ा हाल भोपाल का सामने आया है। जहाँ दीपावली के खुशियों के बीच यह सस्ता, लेकिन घातक नया ‘खिलौना’ कई परिवारों की रातों को काली कर गया।

150–200 रुपए की लागत वाली कैल्शियम कार्बाइड गन ने इस बार बच्चों और युवाओं की आंखों की रोशनी तक खतरे में डाल दिया। यहां अब तक 125 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हुए। जो इस विस्फोटक जुगाड़ की चपेट में आये है। इसमें अधिकांश कि उम्र 8 से 14 वर्ष के बीच के बच्चे हैं। आंकड़ों के मुताबिक ,7-35 वर्ष के वयस्क भी प्रभावित हुए हैं। यह देसी गन गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और आसानी से उपलब्ध होने वाले कैल्शियम कार्बाइड से सरल तरीक़े से बनाई गगी थी। पाईप के सहारे कैल्शियम कार्बाइड के छोटे टुकड़े को पानी के सम्पर्क में ले आते थे। जो एसिटिलीन गैस उत्पन्न बनकर तैयार हो जाती थी। जो एक छोटी सी चिंगारी मिलते ही तेज विस्फोट कर्ता था। जिसे देखकर बच्चे उत्साहित होते थे। लेकिन ब्लास्ट होने के साथ ही पाइप टूटने पर निकलने वाले प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े, जैसे छर्रे, सीधे शरीर खासकर आंखों में घुसकर गंभीर चोटें करते हैं। अक्सर बच्चे जिज्ञासा में झांकते हैं और उसी क्षण धमाका हो जाता है, जिससे चेहरे, आंखों और कॉर्निया को गंभीर क्षति पहुँचती है।भोपाल के अस्पतालों में आने वाले रोगियों की रिपोर्ट में बताया गया है कि सैकड़ों में से 20–30 प्रतिशत मामलों में गंभीर डैमेज देखा गया है. कई लोगों को तत्काल ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ी और कुछ मामलों में कॉर्निया ट्रांसप्लांट तक करना पड़ा. जिन्हें मामूली जली हुई चोटें थीं, उन्हें पट्टी कर घर भेज दिया गया है, लेकिन गंभीर मामलों के लिए अब ऑपरेशन और फॉलो-अप की तैयारी जारी है.नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे ने बताया, ”हमारे पास 7 साल से लेकर 35 साल तक के लोग आए हैं। इस दिवाली हमने कार्बाइड बम से एक विशेष प्रकार की इंजरी देखी। कई मामलों में केमिकल के उपयोग की वजह से आंखों में केमिकल बर्न हुआ है. 20 से 30 प्रतिशत लोगों को काफी गंभीर डैमेज हुआ है। नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बाहरी चोट ही नहीं, बल्कि केमिकल बर्न के कारण आंख की अंदरूनी संरचनाएं भी प्रभावित हुई हैं, जो आंखों की रोशनी हमेशा के लिए खत्म करने की वजह बन सकती हैं।

रिपोर्ट : श्रोत

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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