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एसीएसटी का झूठा केस लिखाने वाले वकील को कोर्ट ने सुनाई 12 साल कि सजा, 45 हजार का जुर्माना

कोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश, मुकदमे में चार्ज सीट दाखिल होने के बाद दे आर्थिक सहायता



News desk: एससी एसटी एक्ट को प्रतिरोध का हथियार बनाकर दुश्मनी साधने वालों के खिलाफ कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। लखनऊ में एससी-एसटी कोर्ट ने एस मामले में एक अहम फैसला सुनाते हुए एक अधिवक्ता को 12 साल की सजा और 45 हजार रुपये जुर्माने ने दंडित किया है। वकील पर आरोप था कि उसने अपने निजी लाभ और विरोधियों पर दबाव बनाने के लिए झूठे केस दर्ज कराए थे।
ललखनऊ के चिनहट थाना अंतर्गत एडवोकेट परमानंद गुप्ता ने अनुसूचित जाति की महिला पूजा रावत के नाम का सहारा लेकर अपने विरोधियों विपिन यादव, रामगोपाल यादव, मोहम्मद तासुक और भगीरथ पंडित के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट और दुराचार के तहत झूठे मुकदमे दर्ज कराए थे। पुलिस के विवेचना में यह आरोप सही पाया गया था। जिसपर विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) ने अपने आदेश में कहा कि वकील परमानंद गुप्ता ने न केवल कानून का दुरुपयोग किया, बल्कि न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता को भी ठेस पहुंचाई है। फैसले में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अगर पूजा रावत को झूठे मुकदमे के आधार पर 75 हजार रुपये का मुआवजा दिया गया है, तो उसे वापस लिया जाए। साथ ही यह भी कहा कि भविष्य में चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही मुआवजे की राशि दी जानी चाहिए। इस मामले में झूठे आरोपों में फंसाए गए विपिन यादव, रामगोपाल यादव, भगीरथ पंडित और मोहम्मद तासुक को कोर्ट ने बरी कर दिया। : श्रोत

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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