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महाकुम्भ: आस्था की डूबकी के साथ साथ अपनों के मिलन का बना संगम

35 हजार बिछड़े लोंगो को एक दूसरे से मिलाकर बनाया रिकार्ड

Prayagaraja news: महाकुम्भ अपने दिव्यता, भब्यता व सुव्यवस्था के साथ अपनों को मिलाने का भी रिकार्ड हासिल किया है। कुम्भ के दौरान 35 हजार बिछड़े लोंगो को उनको अपनों से मिलाकर संगम कराया। 144 साल बाद बने पुण्य संयोग में देश दुनिया से श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा। इस जन सैलाब के कारण कई लोग कुछ पलों के लिए अपनों से बिछड़ गए।इस बात का अंदाजा पहले से था। जिसके लिए शासन ने पहले से इसकी ब्यवस्था करते हुए खोया पाया केंद्र का स्थापना की थी। जिसका लाभ श्रद्धालुओं को मिला। महाकुम्भ में 35 हजार श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलाने का कार्य किया गया।

खोने वालों की संख्या एक नजर में

45 दिन तक चले इस महाकुम्भ में अमृत शाही स्नान के दिन काफी संख्या में लोग बिछुड़े जिसमें मकर संक्रांति पर्व (13, 14 और 15 जनवरी) को 598 श्रद्धालु, मौनी अमावस्या के दौरान (28, 29 और 30 जनवरी) 8725 व बसंत पंचमी (2, 3 और 4 फरवरी) को डिजिटल खोया-पाया केंद्र की मदद से 864 लोगों को उनके परिवारों से मिलाने का रिकार्ड है। इसके अलावा अन्य स्नान पर्वों और सामान्य दिनों में खए हुए 24,896 लोगों का भी उनके परिवारों के साथ पुनर्मिलन कराया गया। इस तरह महाकुम्भ के समापन पर 35,083 लोगों को उनके परिजनों से मिलाया गया।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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