
सरकारी तालाब के 45 एयर भूमि पर बना है जिपं सदस्य का मकान
तत्कालीन एसडीएम पीपी मीणा ने जिपं सदस्य के खिलाफ जलाई थी मशाल, अब हुई बिकराल
Chandauli news: एसडीएम सकलडीहा ने चहनियां क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य के अवैध निर्माण को गिराते हुए धारा 67 के तहत वसूली का आदेश पारित करते हुए तहसीलदार को दिशा निर्देश दिया है। इसके पूर्व उक्त निर्माण के प्रति तत्कालीन एसडीएम / ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पीपी मीणा ने मशाल जलाई थी। जो 03 वर्ष बाद विकराल रूप लिया है।

चहनियां क्षेत्र के सेक्टर नम्बर 04 जिला पंचायत सदस्य गोपाल सिंह उर्फ बबलू सिंह के खिलाफ एसडीएम के यहां 01 जून 2021 को ग्रामीणों ने शिकायती पत्र दिया कि उनका मकान तालाब की जमीन को पाट कर अवैध रूप से बनाया गया है। अतिक्रमणकारियों पर विशेष दिलचस्पी लेने वाले ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने राजस्व की विशेष टीम भेजकर निरीक्षण करा दिया। जिसमें अराजी नम्बर 536 के 45 एयर भूमि पर बना मकान का अधिकांश भाग तालाब की जमीन पर पाया गया। धारा 136 के तहत उंक्त निर्माण को गिराने के लिए टीम निर्धारित कर दी गयी। हालांकि पक्का कार्य में कानूनी दाव पेंच को लेकर मामला एसडीएम न्यायिक कोर्ट पहुंच गया। इसके बाद ही किसी कारण वश ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का स्थानांतरण डीएम संजीव कुमार ने चकिया कर दिया।
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के चकियां ट्रांसफर के बाद उंक्त फाइल को पुराने फाइलों के गट्ठरों में बंधवा दिया गया। हालांकि मुकदमों का रिकार्ड अब कम्प्यूटर में भी दर्ज होने लगा है। ऐसे मे उक्त कार्यवाही एक बार फिर से सामने आ गया। अब अतिक्रमण कारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के मामले में पीपी मीणा के नक्शे कदम पर चल रहे सकलडीहा एसडीएम ने उक्त प्रकरण में सुनवाई शुरू कर दिए। लगातार कई तारीखों के बाद शासकीय अधिवक्ता की पैरवी के बाद एसडीएम न्यायिक सकलडीहा अनुपम मिश्रा की कोर्ट ने अराजी नम्बर 536 के 45 एयर रकबा पर बने अवैध निर्माण पर बेदखली का आदेश पारित करते हुए। छतिपूर्ती वसूल करने के लिए तहसीलदार को दिशा निर्देश दिए है। जिसकी जानकारी के बाद तहसील में चर्चा शुरू हो गयी है।
शासन ने नकारा तो डीएम ने सम्भाला:
जिला पंचायत सदस्य गोपाल सिंह उर्फ़ बबलू के अतिक्रमण पर कार्यवाही में पैरवी कर रहे लोंगो को पीपी मीणा ने करारा जबाब दे दिया था। यहां तक कि न्यायिक कार्य बाधित होने पर उन्होंने न्याय आपके द्वार कार्यक्रम के तहत गांव गांव न्यायालय चलाना शुरू कर दिए थे। सूत्रों की माने तो ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने उंक्त मामले में सुनवाई के साथ साथ बेदखली का खाका तैयार कर दिए थे। जिसे बचाने के लिए सत्तासीन पार्टी के नेता व मंत्री भी अपना वर्चस्व बनाते हुए पैरवी शुरू कर दिए। यहां तक कि मुख्यमंत्री के यहां शिकायत करने की बात भी खूब चर्चा में रही। लेकिन शिकायत के पहले ही अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही की बात प्रमुख सचिव तक पहुंच गई थी। जहां से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के ट्रासंफर की योजना विफल हो गयी थी। मुख्यमंत्री ने जब नकार दिया तो यहां उन नेताओं को तत्कालीन जिलाधिकारी संजीव सिंह ने हाथों हाथ लिया। जिसका असर हुआ कि रात में ही ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का स्थानांतरण चकियां कर दिया गया। अब इस बात की चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गयी कि फिर से उस ताबूत में किल गाड़ने का काम हुआ है। क्या यह कार्यवाही होगी या फिर अधिकारियों के उस कमजोर नस को दबाने का काम होगा। यह भविष्य के गर्त में है।