Uncategorizedअंतरराष्ट्रीयअध्यात्मअयोध्याउत्तर प्रदेशक्राइमखेलगोरखपुरचंदौलीझांसीबांदामनोरंजनमिर्जापुरमुरादाबादराजनीतिराज्यराष्ट्रीयवाराणसीशिक्षा/रोजगारस्वास्थ्य

चंदौली के तत्कालीन एसपी सहित 18 पुलिस कर्मियों के खिलाफ री विवेचना का आदेश

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फाइनल रिपोर्ट को किया ख़ारिज

News desk : गाजीपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्वप्न आनंद ने नंदगंज थाना द्वारा चंदौली के तत्कालीन एसपी अमित कुमार सहित 18 पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगाए जाने पर नाराजगी जाहिर किया। कोर्ट में पेश किये पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को खारिज करते हुए नंदगंज थाना प्रभारी के कार्यशैली व तत्कालीन एसपी अमित कुमार सहित सभी पुलिस कर्मियों का जाँच कराने के लिए डीजीपी को दिशा निर्देश दिए है।


सीजीएम कोर्ट ने चंदौली में तैनात दीवान अनिल कुमार को चन्दौली पुलिस ने गौ तश्कर, गैगेस्टर घोषित कर दिया था। तत्कालीन एसपी अनिल कुमार ने गौ तशकरी मामले में अनीला पर ईनाम घोषित कर दिये थे। जिसे सर्विलांस व स्वाट पुलिस सदर कोतवाली के साथ मिलकर गिरफ्तार कि थी। इसके बाद अनिल को शासन स्तर से बर्खास्त कर दिया गया। गौतस्करी मामले में कदम पीछे न होने पर पुलिस जेल भी भेज दी। इसके बाद जमानत कराकर बाहर निकला विभागीय गौ तश्कर विभाग के लिए नासूर बना। न्यायालय में कार्यवाही को चुनौती दिया। वहां से अनिल को राहत मिल गयी। बर्खास्तगी रद्द करते हुए पुनः ज्वाइन कराना पड़ा।
इसके बाद अनिल ने अपनी गिरफ्तारी को फर्जी घोषित करते हुए गाजीपुर सीजीएम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि उसका अपहरण किया गया था। तथ्यों का आकलन के बाद कोर्ट ने 29 नवंबर 2024 को नंदगंज थाने में चंदौली के तत्कालीन एसपी अमित कुमार, सर्विलांस व स्वाट टीम, सदर कोतवाल सहित 18 पुलिसकर्मियों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया। मुकदमा पंजीकृत हो गया उसी दिन पुलिस फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी। दो दिसंबर को कोर्ट में दाखिल भी कर दिया था। पुलिस के फाइनल रिपोर्ट पर इसके खिलाफ वादी अनिल ने कोर्ट में चुनौती दिया। सुनवाई के बाद शनिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्वप्न आनंद ने नंदगंज एसओ को फिर से मामले की जांच करने के आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले में पीडित और अभियुक्त दोनों पक्ष पुलिस वाले हैं तथा पुलिस के कुछ उच्चाधिकारी भी शामिल है। मामले में पुलिस के उच्चाधिकारियों के दबाव में निष्पक्ष विवेचना नहीं की गई है। ऐसी विवेचना से आम जनमानस का पुलिस और आपराधिक न्याय प्रणाली पर भरोसा कम होता है और राज्य की छवि खराब होती। कोर्ट ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई लिए भेजा है।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page