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रंग खेलने के लिए आये पति को खानी पड़ गयी जहर

गुजरात से आया था खेलने रंग, पत्नी मिली बेड पर दूसरे संग

Chandauli news : “मजनू अब इश्क़ करे तो कैसे करे,लैला अब ऐतबार के काबिल न रही” कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना करते हुए होली के दिन परिवार के साथ रंग खेलने गुजरात से आये पति ने पत्नी को दूसरे के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख सदमें में चला गया। अपनी इच्छाओं का दमन कर पत्नी व बच्चों को पगार मिलते ही तुरंत पैसा इस लोए भेजता था कि एन सभी को यहां कुछ कमी न होने पाए। मेहनत कि कमाई पर पत्नी के अय्यासी को सहन न कर सका दोपहर मे वह कमरा बंद कर जहर खा लिया। जिसके बाद हालत खराब हो गयी। मामले कि जानकारी होने के बाद पुलिस पहुंचकर अस्पताल ले गयी लेकिन अभी हालत चिंताजनक बनी हुयी है।


इलिया थाना अंतर्गत एक गांव में होली के दिन पत्नी के अय्यासी का नजारा पति अपने खुली आँखों से उस समय देखा ज़ब वह बड़ी उम्मीद से होली का जश्न मानाने के लिए गुजरात के किसी फैक्ट्री में कार्यरत होने पर छुट्टी लेकर घर आया था। होली पर अपने ख़ुशी के साथ साथ बच्चे व पत्नी कि ख़ुशी और अधिक हो जाय इसके लिए वह किसी को कानो कान खबर नहीं किया था। लेकिन यह खुशी उसकी उसके जान पर आ गयी। पत्नी के कारनामें उसके सामने आ गयी। पुलिस को सूचना दिया लेकिन पुलिस भी इस मामले में कुछ कर न सकी। इसके बाद वह दोपहर में अंदर कमरे में अपने आप को बंद कर जहर खा लिया। जिसके कारण हालत ख़राब होने लगी। परिवार के अन्य सदस्यों ने दरवाजा तोड़कर बाहर निकालने के साथ इसकी जानकारी इलिया थाने को दी। जिसके बाद तत्काल पुलिस भी मौके पर पहुंच गयी जिसे ईलाज के लिए निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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One Comment

  1. धर्म से नियंत्रित समाज में लोगों को ईश्वर से,समाज के कोप से डर लगता था।पतियों का बाहर कार्य करना और बहु का सास,ससुर के साथ रहना एक आम बात थी। धार्मिक सीमाएं,सामाजिक सीमाएं भी होती थीं। ईश्वर और समाज की सोच कुल मिला कर एक सोच से नियंत्रित होती थीं। उनमें भ्रष्टाचार भी नहीं था।आज कानून का शासन है।धर्म को नेताओं ने नगण्य बना दिया है।ईश्वर के अस्तित्व पर ही प्रश्न उठा कर और कानून को जूतियों के तले रख दिया है भ्रष्ट नेता अधिकारी गठजोड़ ने।इसका चतुर्दिक दुष्प्रभाव समाज देख रहा है।भुगत रहा है। लगातार हमारा सभ्य समाज एक स्वार्थी,असंयमी और भोग प्रधान समाज बनता जा रहा है।

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