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सरकारी विद्यालय का हाल, 100 बच्चों पर 1 किलो दाल

एसडीएम के जांच में शिक्षा विभाग के मिड- डे मिल योजना कि खुली पोल

प्रधान व प्रधानाध्यायपक के गंठजोड़ से बच्चों के आहार पर डांका




Chandauli news : शिक्षा के मंदिर में भ्रस्टाचार का बोलबाला। जी हाँ इस बात का खुलासा मंगलवार को हुआ। ज़ब एसडीएम एक विद्यालय पर पहुंचे। जहाँ उसी दौरान बच्चों का लंच ब्रेक हुआ था। इसके बाद उन्होंने भी बच्चों के साथ सरकारी योजना के तहत बने वाले मिड डे मिल के भोजन को खाने के लिए बच्चों संग टाट पट्टी पर बैठ गए। अचानक एसडीएम के खाना खाने कि इच्छा कि बात सुनने के बाद प्रधानाध्यापक व रसोईयों के हाथ पाँव फूलने लगे। लेकिन बच्चों के साथ खाना खाने में जो संतुष्टि एसडीएम को मिली वह उनका मन ही जाने। एसडीएम ने जांच आख्या डीएम को सौपने कि बात कहे।


जिलाधिकारी चन्द्रमोहन गर्ग ने शिक्षा कि गुणवत्ता का परख करने के लिए एसडीएम स्तर के अधिकारियों को भी लगाएं है। इसी क्रम में डीडीयू नगर के एसडीएम अनुपम मिश्रा कंपोजिट विद्यालय नियमताबाद पहुंचे। जहाँ बच्चों के शिक्षा स्तर का टेस्ट लिया, नामांकन के सापेक्ष उपस्थिति काफ़ी कम मिली। अभी जां प्रक्रिया चल ही रही थी तब तक लंच ब्रेक कि घंटी लग गयी। जिसके विषय में ज़ब जानकारी लिए तो पता चला बच्चों के खाने के समय हो गया। जिसके लिए विद्यालय में मिड डे मिल के तहत भोजन दिया जाता है।
शासन मध्याह्न भोजन के नाम पर प्रति विद्यालय लाखों रुपया खर्च करती है लेकिन गुणवत्ता के नाम पर जो मिलता है इसकी पोल खुल गयीं। बच्चों के साथ टाट पट्टी पर बैठे एसडीएम को रसोईयां अपने हिसाब से सबसे गाढ़ी दाल थाली में परोसी लेकिन दाल चावल को छूने कि बजाय थाली से बाहर जाने को बेताब रहा। जबकि मीनू के अनुसार चावल दाल के साठ साथ मौसमी सब्जी युक्त दाल देनी थी। हलांकि थाली में चावल व दाल परोसा गया। बकायदे चम्मच दिया गया एसडीएम ने किसी तरह से एक चम्मच निवाला मुंह में डाले होंगे। इससे जो अनुभूति हुयी वह उनके महीने भर के आयोडीन कि पूर्ति एक चम्मच भोजन ने कर दिया।
इसके बाद बच्चों से वह फल, दूध आदि के विषय में जानकारी लिया. जहाँ बच्चों ने बताया कि फल का तो पता नहीं दूध के नाम पर सफ़ेद पेय पदार्थ जरूर मिलता है। मतलब वही सरकारी विद्यालय का हाल, 100 बच्चों पर 1 किलो दाल।
निरीक्षण के बाबत ज़ब एसडीएम से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह शासनादेश है कि हर मजिस्ट्रेट को कम से कम 10 विद्यालय जाँच करना है। जिसे जिलाधिकारी द्वारा पालन करने का निर्देश मिला है। विद्यालय कि स्थिति संतोषजनक नहीं रहा। जिसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौपी जाएगी।

मृत्युंजय सिंह

मैं मृत्युंजय सिंह पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त न्यूज़ सम्प्रेषण के डिजिटल माध्यम से जुडा हूँ.मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से उठाना एवं न्याय दिलाना है.जिसमे आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है.

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