जिसने चढ़ाया चढ़ावा, उसके गांव को मनरेगा में मिला अतिरिक्त बजट

कमीशन वाले गांव में नही लागू हुआ 60/ 40 का मानक
Chandauli news: खेती पर आश्रित किसान जितनी मेहनत से धान पैदा करते है। लेकिन उतने ही आसानी से यहां आने वाले कुछ भ्रस्टाचार में लिप्त अधिकारी कार्य कर लेते है जो एक नजीर बन कर रह जाती है।
भारत सरकार के महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा जो मजदूरों के आर्थिक विकास के लिए चलायी गयी। लेकिन उस योजना से मजदूरों का विकास हो या न हो लेकिन साहब का विकास इस कदर हुआ कि वह अपने बाल के साथ साथ मूँछ को भी काला करने लगे। इसके पीछे मानक के विपरीत मनरेगा से पक्के कार्य के नाम पर बजट भेजने में मिलने वाला अतिरिक्त कमीशन है।
मनरेगा के तहत 60/ 40 के रेसियो से कार्य होता है। मतलब बजट का 60% भाग मजदूरी पर तथा 40% भाग सामग्री पर खर्च करना होता है। इसी अनुपात पर पक्का कार्य के लिए आईडी जनरेट होती है। लेकिन कुछ ऐसे ग्राम पंचायतों को मनरेगा में लाभ देने के लिए शामिल किए गए है। जहां मानक को दर किनार कर। अपने दोनों हाथ से समेटने वाली मानक को रखा गया। जिसका लाभ ऐसे गांव सभा को मिला जहाँ से जुड़े जनप्रतिनिधि आसानी से लिफाफे में रखकर धन को ला सकते है, बल्कि विशेष कृपा मिलने पर बकायदे उनके एजेंट के रूप में धन उपलब्ध करा देते है।
ऐसे गांव में मानकों की धज्जियां उड़ा दिए है। विकास विभाग के सूत्रों का कहना है कि सकलडीहा विकास विकास खण्ड का एक ऐसा गांव है। जहां साहब के जाति विशेष का ग्राम प्रधान है। जो साहब के रिश्तेदारों की सूची में शामिल हो गया है। उक्त गांव के साथ साथ अन्य आधा दर्जन गांव को अतिरिक्त कमीशन पर मानक को ताक पर रख पक्का कार्य के लिए आईडी दिलायी गयी। सूत्रों की माने तो उक्त धनराशि के लिए विभागीय कमीशन के अलावा 3% अतिरिक्त धन साहब को दिया जाता है।
इन गांवों में मानक के विपरीत भेजा गया पैसा
सूत्रों की माने तो सकलडीहा विकास खण्ड के कम्हारी, इटवां, सलेमपुर, डेढगावां, बरहवानी, नागेपुर, बर्थरा जैसे गांव में मानक की धज्जियां उड़ाते हुए धन आवंटित किया गया है।